Wednesday 31 May 2017

वीआईपी संस्कृति के सर्वनाश कि तरफ बढता एक कदम



लालबत्ती हटाना वीआईपी संस्कृति पर रोक लगाने कि दिशा मे एक सराहनिय कदम रहा है। ये लालबत्ती का सिम्बोल दुर करने से एक तरह से वीआईपी लोगो के वाहनो और सामान्य लोगो के वाहनो मे समानता आ गई है. एक तरह जहां, नेता लोग लालबत्ती वाले वाहने मे बैठकर रोफ दिखाने के लिए विभिन्न कारनामो को अंजाम देते है वहां, केन्द्रिय केबिनेट ने ऑर्डिनन्स पारित करके सभी वीआईपी वाहनो से लालबत्ती हटाने का निर्णय किया है।
देश मे वीआईपी कल्चर बहुत हद तक गढ़ चुका है। ये वीआईपी लोग अपना रोफ दिखाने मे लालबत्ती, सायरन और पर्सनवल सिक्योरिटी और कोन्वोय का जमकर इस्तमाल करते रहते है।
वीआईपी लोगो के वाहनो पर से लालबती हटाने सबंधित सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्देश दिया था। 10 डिसम्बर 2013 मे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.एस.सिंघवी और जस्टिस सी.नगप्पन कि बेंच ने लालबत्ती के नियमो मे बदलाव के निर्देश दिये थे और उन्हो ने खुद लालबत्ती का त्याग कर दिया था।

लालबत्ती लगाने संबंधित विभिन्न राज्यो मे विभिन्न तरह के कानुन थे, उस पर केन्द्रिय केबिनेट ने रोक लगाने सबंधित ऑर्डिनन्स पारित करके कई वीआईपी लोगों कि रोफ जमाने कि एक ताकात को नपुंसक बना दिया है। लालबत्ती मे चमकने वाली, बिना चमकने वाली और सायरन और बिना सायरन कि विभिन्न प्रकार कि लालबत्ती लगाई जाती थी।
केन्द्र सरकार के निर्देश पर राज्य और केन्द्र सरकार के विभिन्न पदो पर नियुक्त वीआईपी लोगो के वाहनो पर से लालबत्ती 1 मे 2017 से दुर कर दी है। सबसे पहले आम आदमी पार्टी कि सरकार ने सबसे पहले दिल्ही मे लालबत्ती नही रखने का एक सराहनिय कदम शुरु किया था, इसके बाद पंजाब मे भी अमरिंदर सिंह कि सरकारने लालबत्ती वाले वाहन नहि रखने का निर्णय किया।
लालबत्ती का स्टेट्स सिम्बॉल हटाना कई नेता और वीआईपी, वीवीआईपी लोगो के लिए झटका समान है लेकिन, वीआईपी कल्चर दुर करके आदर्श सिद्धांत कि वकालत कर रहे लोगो कि ये नैतिक जीत है।
सामान्यतः हमारे देश के लोग व्यक्ति पूजा (Hero worship) मे ज्यादा लीन रहते है। ये दंभ और आडंबर कि दुनिया से बहार जाना कइ लोगो को बड़ा धक्का पहुचाने वाला है। वाहन पर लालबत्ती देखने से जो हम उनसे प्रभावीत हो जाते थे, ये हमारी मानसिकता से बहार हो जायेगा जो देश कि तंदुरस्त लोकशाही के लिए जरुरी है।
वाहनो पर से लालबत्ती हटा दी गई है। प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का वाहन और सामान्य व्यक्ति का वाहन मे सुरक्षा के सिवा कोई ज्यादा तफावत नहि है। लेकिन, अभी जो वीआईपीकरण है, वो पुर्णतः दुर नहि किया। हम एक एसे समय कि कामना करते है, जहां, प्रधानमंत्री बीना काफिला के वाहन मे सामान्य लोगो के साथ घुमते दिखे। जिसके लिए, सरकारो से ज्यादा लोगो कि जागरुकता आवश्यक है।
केन्द्र सरकार ने"अपने पैर पर कुल्हाडी मारना" कहावत सच साबित कि है। सामान्यतः नेता उनको मिलती सुविधायें खत्म नहि करते लेकिन, यहां जो निर्णय लिया उसके लिए केन्द्र सरकार को बहोत मुबारकबाद तो देना ही चाहीये। आज नहि तो कल हमारा समाज ये भी परिपक्वता हांसिल कर लेगा कि हम भी किसी से कम नहि। ये लालबत्ती हटाना उसी का तो नाम है, हम भी किसी से कम नहि।