Humanity

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Perriar IIT students:-

पेरियार ई. वी. रामास्वामी जी के वचन-

 हीनतावादी विचारधारा के लोग भगवान के नाम पर मूर्ख बनाकर अंधविश्वास में निष्ठा रखने के लिए तैयार करती है और स्वयं आरामदायक जीवन जीते है, तुम्हें अछूत कहकर तुम्हारी निंदा करता है. देवता की प्रार्थना करने के लिए दलाली करता है. मैं इस दलाली की निंदा करता हूँ और आपको भी सावधान करता हूँ कि ऐसे लोगो पर विश्वास मत करो.
उन देवताओं को नष्ट कर दो जो तुम्हें शूद्र कहें, उन पुराणों ओर इतिहास को ध्वस्त कर दो, जो देवताओं को शक्ति प्रदान करते हैं. अगर देवता ही लोगो में निम्न जाति बनाने का असली जिम्मेदार हैं तो ऐसे देवताओं को नष्ट कर दो, अगर धर्म है तो इसे मत मानो, अगर मनुस्मृति, गीता या अन्य कोई पुराण आदि है तो इसको जलाकर राख कर दो. अगर ये मंदिर, तालाब या त्यौहार है तो इनका बहिष्कार कर दो. अगर हमारी राजनीति ऐसा करती है तो इसका खुले रूप में पर्दाफाश करो।
संसार का अवलोकन करने पर पता चलता है कि भारत जितने धर्म ओर मत मतान्तर कहीं भी नहीं हैं और यही नहीं, बल्कि इतने धर्मांतरण (धर्म परिवर्तन ) दूसरी जगह कही भी नही हुए हैं. इसका मूल कारण भारतीयों का निरक्षर ओर गुलामी प्रवृति के कारण उनका धार्मिक शोषण करना आसान है.
आर्यो ने हमारे ऊपर अपना धर्म थोपकर, असंगत, निर्थक और अविश्वनीय बातों में हमें फांसा. अब हमें इन्हें छोड़कर ऐसा धर्म ग्रहण कर लेना चाहिए जो मानवता की भलाई में सहायक सिद्ध हो.
ब्राहमणों ने हमें शास्त्रों ओर पुराणों की सहायता से गुलाम बनाया है और अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मंदिर, ईश्वर और देवी-देवताओं की रचना की.
सभी मनुष्य समान रूप से पैदा हुए हैं, तो फिर अकेले ब्राह्मण ऊँच व अन्यों को नीच कैसे ठहराया जा सकता है.
संसार के सभी धर्म अच्छे समाज की रचना के लिए बताए जाते है, परन्तु हिंदू-आर्य, वैदिक धर्म में हम यह अंतर पाते हैं कि यह धर्म एकता और मैत्री के लिए नहीं है.
ऊँची-ऊँची लाटें किसने बनवाईं? मंदिर किसने बनाए? क्या ब्राहमणों ने इन मंदिरों, तालाबों या अन्य परोपकारी संस्थाओं के लिए एक रुपया भी दान दिया?
ब्राह्मणों ने अपना पेट भरने हेतु अस्तित्व, गुण, कार्य, ज्ञान और शक्ति के बिना ही देवताओं की रचना करके और स्वयभू भूदेवता बनकर हंसी मजाक का विषय बना दिया है.
सभी मानव एक हैं, हमें भेदभाव रहित समाज चाहिए, हम किसी को प्रचलित सामाजिक भेदभाव के कारण अलग नहीं कर सकते.
हमारे देश को वास्तविक आजादी तभी मिली समझाना चाहिए, जब ग्रामीण लोग, देवता, अधर्म, जाति और अंधविश्वास से छुटकारा पा जायेंगे.
आज विदेशी लोग दूसरे ग्रहों पर सन्देश और अंतरिक्ष यान भेज रहे है. हम ब्राह्मणों के द्वारा श्राद्धो द्वारा परलोक में बसे अपने पूर्वजों को चावल ओर खीर भेज रहे हैं. क्या ये बुद्धिमानी है?
ब्राह्मणों से मेरी यह विनती है कि अगर आप हमारे साथ मिलकर नहीं रहना चाहते तो आप भले ही जहन्नुम में जाएें, परन्तु कम से कम हमारी एकता के रास्ते में मुसीबतें खड़ी न करें.
ब्राह्मण सदैव ही उच्च एवं श्रेष्ट बने रहने का दावा कैसे कर सकता है? समय बदल गया है, उन्हें नीचे आना होगा, तभी वे आदर से रह पायेंगे नहीं तो एक दिन उन्हें बलपूर्वक और देशाचार के अनुसार ठीक होना होगा.

Humanity is biggest religion:-

नहीं मंदिर में जाता हूँ नहीं मस्जिद में जाता हूँ।
मैं अपना सिर्फ मानवता के आगे सैट झुकाता हूँ।।
मैं अपने पाप कर्मों की सजा को खुद ही भोगूँगा,
नहीं तीरथ को जाता हूँ नहीं गंगा नहाता हूँ।।

भाई धर्म ही पूजा है तो कर्म क्या है।
प्यार जन्नत है तो माता पिता के  चरण क्या है ।
मस्जिद अल्लाह है तो इंसानियत क्या है।
मंदिर में भगवान् है तो पांडा की जरूरत क्या है।
भगवान अगर कण कण में है तो मंदिर मस्जिद की जरूरत क्या है।
मन अगर साफ़ है तो अगरबत्ती की जरूरत क्या है।
धर्म के अनुसार जीवो की हत्त्या पाप है तो बली देना क्या है।
भगवन के सामने सब बराबर है तो जाती पाती क्या है।
जो उड़ते हैं
अहम के आसमानों में
जमीं पर आने में वक़्त नहीं लगता
हर तरह का वक़्त
आता है ज़िंदगी में वक़्त के
गुज़रने में वक़्त नहीं लगता ।

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